ऐ जालिम क्यों इतना दर्द देता है तू ,जिंदगी से हम कुछ कम परेशान नहीं ,
ख्वाहिश थी आशियाने की ,पर दिए तूने याद दर्द जी भर के ,फिरभी
दिल से निकले दुआ तेरे लिए ,की हम तेरे जैसे पत्थर दिल नहीं .
ख्वाहिश थी आशियाने की ,पर दिए तूने याद दर्द जी भर के ,फिरभी
दिल से निकले दुआ तेरे लिए ,की हम तेरे जैसे पत्थर दिल नहीं .
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